चिकनगुनिया (Chikungunya) मच्छरों की वजह से फैलने वाली बीमारी है। अफ्रीका और एशिया महाद्वीप के देशों में यह बीमारी बहुत अधिक पायी जाती है। हालांकि, मच्छरों की वजह से पनपने वाली इस बीमारी के कुछ मामले यूरोप और अमेरिका के कुछ हिस्सों में भी पाए गए हैं। चिकनगुनिया शब्द, किमाकोंडे भाषा से उत्पन्न हुआ है जो तंजानिया के दक्षिण-पूर्वी इलाके और उत्तर मोजांबिक में बोली जाती है।
चिकनगुनिया क्या है?
यह एक वायरस है जो इंफेक्टेड मादा मच्छर (Aedes aegypti and Aedes albopictus) के काटने से होता है। चिकनगुनिया का प्रसार आमतौर पर घर के बाहर और दिन के समय में होता है। खासकर, तड़के सुबह या दोपहर बाद अंधेरा होने से पहले मच्छर बहुत ज़्यादा सक्रिय होते हैं और इसीलिए, इस समय चिकनगुनिया बहुत तेज़ी से फैलता है। इस वायरल इंफेक्शन की पहचान तेज़ बुखार के साथ मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द से होती है। इसके अलावा सिर दर्द, चक्कर, थकान और रैशेज़ जैसी समस्याएं भी इसके अन्य लक्षण हो सकते हैं।
आमतौर पर मच्छर काटने के 3-7 दिनों के बीच चिकनगुनिया की शुरुआत होती है। वैसे तो यह समस्या खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है, लेकिन बुज़ुर्गों और किसी अन्य प्रकार की बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए यह इंफेक्शन जानलेवा भी साबित हो सकता है। चिकनगुनिया का कोई इलाज या वैक्सीन नहीं है। हालांकि, इस समस्या का इलाज, इसके लक्षणों जैसे बुखार, दर्द और सूजन से आराम दिलाने के आधार पर होता है।
चिकनगुनिया के लक्षण क्या है ?
चिकनगुनिया के लक्षण और संकेत 10-12 दिनों तक रहते हैं, जो धीरे-धीरे खुद ठीक होने लगते हैं। बुखार और जोड़ों में असहनीय दर्द के अलावा चिकनगुनिया में कुछ और भी समस्याएं महसूस हो सकती हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार है-
- सिर दर्द
- थकान
- चक्कर आना
- लिम्फ नॉड्स में संवेदनशीलता ( Tender lymph nodes
- उल्टी (इंफेक्शन के 2 से 22 दिन के भीतर)
अक्सर, चिकनगुनिया के लक्षणों को लोग मच्छरों की वजह से होने वाली अन्य बीमारियों जैसे मलेरिया और डेंगू के लक्षण मान लेते हैं। लेकिन, इनका प्रभाव शरीर पर अलग तरीके से होता है। जैसे, इसमें होने वाले बुखार की गम्भीरता अन्य बीमारियों से अलग होता है। इसी तरह डेंगू में कई बार मरीज़ को ब्लीडिंग जैसे लक्षण भी दिखायी पड़ते हैं। जबकि, मलेरिया में मरीज़ों में तेज़ बुखार होता है जो, शाम में काफी बढ़ जाता है। जिसके बाद बार-बार और जल्दी-जल्दी ठंड और पसीना जैसी समस्याएं होती रहती हैं। तो वहीं दूसरी तरफ चिकनगुनिया में मरीजों को तेज बुखार के साथ तेज़ दर्द (खासकर, जोड़ों में असहनीय दर्द) महसूस होता है। इन तीनों ही स्थितियों में मरीज़ों को 102'oF डिग्री बुखार हो सकता है।
चिकनगुनिया के कारण क्या हैं?
डॉ. अमिताभ परती (डायरेक्टर, इंटर्नल मेडिसिन, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट, गुरुग्राम) कहते हैं, “ चिकनगुनिया वायरल इंफेक्शन की वजह से होता है और मच्छरों द्वारा संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्तियों तक इस वायरस का प्रसार होता है। चिकनगुनिया के मच्छर दिन के समय और स्वस्थ पानी में पनपते हुए देखे जा सकते हैं। साफ-सफाई की कमी, संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से, संक्रमण वाले स्थानों में रहने और वहां की यात्रा करने से, कमज़ोर इम्यून सिस्टम के अलावा आपके घर के आसपास पानी का जमाव चिकनगुनिया का खतरा आपके लिए बढ़ा सकता है। इसी तरह 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, नवजात बच्चे, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों के मरीज़ों को चिकनगुनिया होने का डर अधिक होता है।
चिकनगुनिया का निदान क्या है?
ज्यादातर डॉक्टर्स इस बीमारी का पता लगाने के लिए पहले डेंगू और मलेरिया का टेस्ट करते हैं। फिर, चिकनगुनिया का टेस्ट किया जाता है। इस मच्छर जनित बीमारी का पता लगाने के लिए एक साधारण सा ब्लड टेस्ट (CHIKV) किया जाता है।
इसके अलावा आपको ELISA (Enzyme-linked immunosorbent assays) जैसे अन्य ब्लड टेस्ट कराने की भी ज़रूरत पड़ सकती है। जिसकी मदद से शरीर में चिकनगुनिया से लड़ने वाली एंटी-बॉडीज़ (Immunoglobulin M and Immunoglobulin G) का पता लगाया जा सकता है। आपका डॉक्टर आपको खून की जांच के लिए आरटी-पीसीआर नामक एक और ब्लड टेस्ट कराने की सलाह भी दे सकता है। जिसे, इंफेक्शन होने के सप्ताहभर के अंदर ही किया जाता है।
चिकनगुनिया का उपचार क्या है ?
जैसा कि एक वायरल इंफेक्शन होने की वजह से, चिकनगुनिया के लिए कोई विशेष टीका या दवाई नहीं है। ज़्यादातर मामलों में मरीज़, सप्ताहभर में ठीक हो जाता है। लेकिन, जोडों में दर्द की समस्या कुछ महीनों तक बनी रह सकती है। चिकनगुनिया के प्राथमिक उपचार के लिए सूजन, बुखार और दर्द कम करने वाली दवाइयों की सलाह दी जा सकती है। साथ ही मरीज़ों को अधिक मात्रा में तरल पदार्थों के सेवन और आराम करने की सलाह दी जाती है।
चिकनगुनिया में डायट कैसी होनी चाहिए ?
दवाइयों के साथ-साथ कुछ विशेष फूड्स का सेवन चिकनगुनिया से जल्द ठीक होने में मदद कर सकता है। इसीलिए, इन्हें अपनी डायट में शामिल करें-
तरल: जब किसी व्यक्ति को चिकनगुनिया जैसे वायरल इंफेक्शन्स होते हैं। तो, शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इसीलिए, मरीज़ को अधिक मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए ताकि शरीर को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सके। सूप, छाछ, नींबू पानी और नारियल पानी जैसे हेल्दी ड्रिंक्स का सेवन करें।
विटामिन-सी युक्त फल: ऐसे फल आपके इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाकर इंफेक्शन से लड़ने के लिए शरीर की क्षमता बढ़ाते हैं। संतरा,अमरूद और नींबू जैसे फल इसके अच्छे उदाहरण हैं।
सब्ज़ियां: आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होने के साथ-साथ ये पचने में भी आसान होती हैं। जिससे, गैस्ट्रोइंस्टेटाइनल ट्रैक्ट को इंफेक्शन के दौरान सही तरीके से काम करने में मदद होती है। हरी सब्ज़ियों के सेवन से भी चिकनगुनिया के लक्षणों से जल्द राहत मिलती है।
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कुछ ऐसे पौधे हैं जो डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छरों से हमें निजात दिला सकते हैं।
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