इसराइल के अल्टीमेटम के बाद अब यहां एक लाख लोग घर छोड़ने को मजबूर, ऐसा है मंज़र
इसराइली सेना ने ग़ज़ा में पूर्वी रफ़ाह के अलग-अलग इलाक़ों में रहने वाले क़रीब एक लाख लोगों को अपना घर छोड़ने का आदेश दिया है.
सेना ने इसराइली सीमा के नज़दीक पूर्वी इलाकों में रह लोगों से ख़ान यूनिस और अल-मवासी जाने के लिए कहा है.
इसराइल दक्षिणी ग़ज़ा पर सुनियोजित हमला करने जा रहा है, जिसे देखते हुए यह चेतावनी दी गई है.
इसराइली सेना टेक्स्ट मैसेज, फ्लाइयर और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों को इलाक़ा छोड़ने के लिए चेतावनी देने की कोशिश कर रही है.
इस चेतावनी के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू से फोन पर बात की है.
बाइडन ने फोन पर इस मामले में अपनी स्थिति को फिर से दोहराया है.
अमेरिका कई बार कह चुका है कि जब तक रफ़ाह में शरण लिए हुए लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए कोई योजना नहीं सामने आती है, तब तक वह रफ़ाह में इसराइली हमले का समर्थन नहीं करेगा.
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हमला कब होगा? फिलहाल इसे लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन इस चेतावनी के बाद लोगों ने अपने इलाकों को छोड़ना शुरू कर दिया है.
इसराइली सेना के मुताबिक़, पूर्वी रफाह से लोगों को चरणबद्ध तरीके से निकाला जाएगा. हालांकि रफाह में क़रीब 10 लाख से ज्यादा लोगों ने शरण ले रखी है.
कई महीनों से इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि जब तक रफाह में हमास के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर ऑपरेशन नहीं चलाया जाएगा, तब तक युद्ध में जीत हासिल नहीं की जा सकती.
हालांकि इसराइली पीएम का कहना है कि वे जरूरतमंद लोगों को मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए केरेम शलोम क्रॉसिंग को खुला रखेंगे. यह वही क्रॉसिंग है जहां रविवार को हमास के रॉकेट हमले में चार इसराइली सैनिक मारे गए थे.
इसराइल का आरोप है कि हमास के हज़ारों लड़ाके रफाह में छिपे हुए हैं और वे वहां से इसराइली सेना पर हमले कर रहे हैं.
कई मानवाधिकार संगठन इसराइल से रफ़ाह पर हमला नहीं करने की अपील कर चुके हैं.
मानवाधिकार संगठनों ने आशंका जताई है कि अगर इसराइल रफ़ाह पर हमला करता है तो हज़ारों लोगों की जान जा सकती है.
तस्वीरें: घर छोड़कर जाने को मजबूर लोग
रफाह में ऑपरेशन से बंधकों की जान को खतरा
7 अक्टूबर को इसराइल पर हुए हमास के हमले में क़रीब 1200 लोग मारे गए थे, वहीं 250 से ज्यादा लोगों को हमास बंधक बनाकर ग़ज़ा ले गया था.
कुछ बंधकों को हमास ने रिहा किया है लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में इसराइली नागरिक हमास के क़ब्ज़े में हैं.
रफाह पर इसराइली ऑपरेशन को लेकर इन बंधकों के परिवार ने चिंता व्यक्त की है.
परिवार वालों का कहना है कि इस नए हमले से हमास के क़ब्ज़े में रह रहे उनके लोगों को नुकसान पहुंच सकता है.
7 अक्टूबर के हमले में गिल डिकमैन के कई रिश्तेदार मारे गए, जबकि उनके दो चचेरे भाइयों को हमास बंधक बनाकर ले गया था. हमास ने दो भाइयों में से एक को तो रिहा कर दिया है, लेकिन दूसरा अभी भी उनके कब्जे में है.
गिल डिकमैन ने कहा, “हमें डर है कि रफाह में इसराइली सेना के प्रवेश से न सिर्फ निर्दोष लोगों और सैनिकों की जान को खतरा हो सकता है, बल्कि हमास ने जिन लोगों को बंधक बना रखा है, उनकी जान भी खतरे में पड़ सकती है.”
ग़ज़ा सीमा पर हमास के मिसाइल हमले
इसराइल ने दावा किया है कि रविवार को केरेम शेलोम चौकी पर हुए रॉकेट हमले में तीन इसराइली जवानों की मौत हो गई है और कई अन्य जवान घायल हुए हैं.
इसराइल ने आरोप लगाया कि ये रॉकेट हमास की ओर से छोड़े गए थे.
इस घटना के बाद इसराइल ने केरेम शेलोम चौकी को बंद कर दिया है.
केरोम शेलोम चौकी उन चंद रास्तों में से है जिसके ज़रिए ग़ज़ा में मानवीय सहायता पहुंचाई जा रही है.
वहीं हमास की अल कासिम ब्रिगेड ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. उसका कहना है कि केरोम शेलोम चौकी पर कम दूरी के रॉकेटों से हमला किया गया था.
इसराइल का दावा है कि चौकी पर हमास ने एक शेल्टर होम के पास से 10 मिसाइलें दागी थीं. सेना का दावा है कि उसने जवाबी कार्रवाई की है, जिसमें 12 लोग मारे गए.
इसराइल-हमास वार्ता खत्म
काहिरा में संघर्ष विराम को लेकर चल रही वार्ता भी रविवार को समाप्त हो गई है. दो दिन तक चली वार्ता में कोई सहमति नहीं बन पाई है.
हमास ने कहा है, ''रविवार को वार्ता खत्म हो गई. अब हमारा प्रतिनिधिमंडल शीर्ष नेतृत्व से बात करने के लिए काहिरा से कतर जाएगा.''
रिपोर्ट्स के मुताबिक़, वार्ता में शामिल रहे सीआईए चीफ विलियम बर्न्स मिस्र की राजधानी से दोहा के लिए रवाना हो गए हैं.
इसराइल ने बंधकों की रिहाई के बदले 40 दिन तक संघर्ष विराम का प्रस्ताव दिया था.
हालांकि हमास स्थाई संघर्ष विराम की मांग कर रहा है. उसका कहना है कि वार्ता की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि संघर्ष विराम का समझौता स्थायी है या नहीं.
वह इस बात पर ज़ोर दे रहा है कि बातचीत में कोई ऐसा समझौता हो जिसमें इसराइल युद्ध खत्म करने की घोषणा करे, लेकिन इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने इस प्रस्ताव को खारिज़ कर दिया है.
उनका कहना है कि हमास की मांगें इसराइल को स्वीकार नहीं हैं.
नेतन्याहू का कहना है, “हम ऐसी स्थिति को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं, जिसमें हमास के लड़ाके अपने बंकरों से बाहर आकर ग़ज़ा को अपने नियंत्रण में ले लें और अपने सैन्य इंफ्रास्क्ट्रचर को फिर से बनाने लगें.”
उन्होंने कहा कि अगर हमने ऐसा किया तो यह इसराइल की एक भयानक हार मानी जाएगी.
इसराइल ने अल-जज़ीरा पर लगाई पाबंदी
रविवार को इसराइल सरकार की कैबिनेट ने देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरा बताते हुए अल-जज़ीरा टीवी नेटवर्क पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी.
अल-जज़ीरा टीवी नेटवर्क ने इसराइली सरकार के 'राष्ट्रीय सुरक्षा' के खतरे के दावे को 'झूठा' बताया है.
अल-जज़ीरा टीवी नेटवर्क की टीम क़ानूनी जवाब भी तैयार कर रही है.
वहीं एक दिन बाद यानी सोमवार, 6 मई को यरूशलम में अल-जज़ीरा टीवी नेटवर्क के एंबेसडर होटल में स्थित ऑफिस में इसराइली पुलिस ने छापेमारी की है.
इसराइल के संचार मंत्री ने कहा है कि छापेमारी के दौरान ब्रॉडकास्ट उपकरण ज़ब्त किए गए हैं.
संचार मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें पुलिस के अधिकारी अल-जज़ीरा टीवी नेटवर्क के ऑफिस में दाख़िल होते हुए नज़र आ रहे हैं.
इसराइली सरकार के इस कदम की मानवाधिकार संस्थाओं और कई प्रेस समूहों ने आलोचना की है.
एसोसिएशन फॉर द सिविल राइट्स इन इसराइल ने कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट में बैन हटाने को लेकर याचिका डालेंगे.
फॉरेन प्रेस एसोसिएशन ने इसराइली सरकार से बैन को प्रेस की आजादी के लिए खतरा बताया है और इसराइली सरकार से फैसले को पलटने की अपील की है.
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