Radha Swami Temple Pictures,गजब की नक्काशी! ताजमहल जैसी नायाब खूबसूरती, ऐसी इमारत जहां 120 साल से चल रहा काम, देखिए तस्वीरें - agra radha swami dayalbagh is as unique as taj mahal, watch pictures - Navbharat Times

गजब की नक्काशी! ताजमहल जैसी नायाब खूबसूरती, ऐसी इमारत जहां 120 साल से चल रहा काम, देखिए तस्वीरें

Compiled byअभिषेक शुक्ला | नवभारतटाइम्स.कॉम 19 May 2024, 7:00 am

आगरा में ताज महल के बारे में सभी जानते हैं। लेकिन क्या आपको ये पता है कि इसके अलावा भी यहां एक खूबसूरत इमारत है। इस इमारत की नींव भी ताजमहल की तरह से कुओं पर रखी गई है। इसे बनाने में सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है। 

agra radha swami dayalbagh is as unique as taj mahal watch pictures
गजब की नक्काशी! ताजमहल जैसी नायाब खूबसूरती, ऐसी इमारत जहां 120 साल से चल रहा काम, देखिए तस्वीरें
राधास्वामी मत का स्वामी बाग जिसकी खूबसूरती की बात करें तो ताजमहल से कम नहीं मानी जाती। सफेद संगमरमर पत्थरों से तराशी गई बेजोड़ नक्काशी लोगों को आकर्षित करती है। गुम्बद के ऊपर 9 टन का सोने का शिखर बना हुआ है। बड़ी गुम्बद के नीचे भी एक गुम्बद है जिसके ऊपर भी सोने का शिखर है। समाध पर सोने से स्वामी जी महाराज के प्रवचन जड़े हुए हैं। इस इमारत को 1904 से बनाना शुरू हुआ है। जो कि 120 साल बाद भी जारी है। रोजाना 300 मजदूर स्वामी बाग में काम करने के लिए लगे रहते हैं।

खूबसूरती विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल जैसी​

खूबसूरती विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल जैसी​

राधास्वामी पंत के मानने वाले भारत में ही नहीं पूरे विश्व में फैले हैं। आगरा के दयालबाग में बने स्वामी बाग की खूबसूरती विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल से कम नहीं है। चारों ओर सफेद संगमरमर पत्थर पर बेजोड़ नक्काशी है। पत्थर को तराशकर उस पर फलों और सब्जियों की डिजायन लोगों को आकर्षिक करते हैं। इमारत के गुम्बद पर सोने का शिखर बना हुआ है।

​देशभर से देखने आते हैं लोग

​देशभर से देखने आते हैं लोग

राधास्वामी मत के मानने वालों का कहना है कि ये दुनिया की पहली इमारत है। जिसमें दो गुम्बद बने हुए हैं। पहली गुम्बद स्वामी जी की समाधि पर बनी है। जबकि दूसरी गुम्बद उसके ऊपर है। इसे देखने के लिए देश भर से लोग आते हैं। स्वामी बाग की स्थापना राधास्वामी पंत के संस्थापक (शिवदयाल सिंह स्वामी जी) ने की थी। स्वामी जी का जन्म आगरा की पन्नी गली में साल 1818 में हुआ था। साल 1878 में अंर्तध्यान हुए। इसके बाद राधा स्वामी पंत के समर्थकों ने स्वामी बाग की शुरुआत की।

​120 साल से काम जारी

​120 साल से काम जारी

स्वामी बाग वर्ष 1904 में बनना शुरू हुआ। जो कि 120 साल से अभी तक जारी है। रोजाना 300 से अधिक मजदूर स्वामी बाग के निर्माण कार्य में लगे रहते हैं। स्वामी बाग के निर्माण में दो तरह का सफेद पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता है। जिसे राजस्थान की खानों से लाया जाता है। बड़े-बड़े पत्थरों को मशीनों के माध्यम से गुम्बद तक ले जाया जाता है। इसके बाद उसे फिट किया जाता है।

​खारे पानी को बना दिया मीठा

​खारे पानी को बना दिया मीठा

राधास्वामी मत को मानने वालीं सरोज बताती हैं कि वे राजस्थान की रहने वाली हैं। 28 साल पहले राधास्वामी की शरण में आयी थीं। यहां काम करने लगीं। फिर यहां से जाने का कभी मन नहीं हुआ। उनके बच्चे भी दयालबाग इंस्टीट्यूट में पढ़ते हैं। सरोज ने बताया कि स्वामी बाग में एक कुआं बना हुआ है।

​...और कुएं का पानी मीठा हो गया​

​...और कुएं का पानी मीठा हो गया​

इस कुएं की खुदाई पर पानी खारा निकला था। तब लोगों ने स्वामी जी से कहां पानी तो खारा है, लेकिन तभी स्वामी जी ने अपने चुल्लु में पानी लिया और उसे मुंह में लेकर कुएं में डाल दिया। इसके बाद कुएं का पानी मीठा हो गया। लोगों की मान्यता है कि इस कुएं के पानी से तमाम बीमारियों भी दूर हो जाती हैं।

​52 कुआं पर बना है स्वामी बाग​

​52 कुआं पर बना है स्वामी बाग​

स्वामी बाग के हर पत्थर पर राधास्वामी लिखा हुआ है। इमारत की नींव 52 कुओं की गहराई पर टिकी है। हर कुएं पर पिलर लगा हुआ है। पिलर की ऊंचाई 195 फीट ऊंची है। स्वामी बाग की ऊंचाई ताजमहल की ऊंचाई से भी अधिक है। गुम्बद के ऊपर बना सोने का शिखर जगमगाता है। जो कि लोगों को खूब आकर्षित करता है।

​दीवारों पर बनी हैं अंगूरों की बेल

​दीवारों पर बनी हैं अंगूरों की बेल

स्वामी बाग इमारत पर पच्चीकारी का खूब काम हुआ है। अंबाजी और मकराना पत्थरों से भवन को बनाया है। दीवारों पर खरबूजे, तरबूजे, करेला, अंगूर की बेलें, आम तमाम फल और सब्जियों की आकृतियां बनी हुई हैं। जिसे बेहद खूबसूरती से तराशा गया है।

दिन में 4 बार होता है सत्संग​

दिन में 4 बार होता है सत्संग​

स्वामी बाग में स्वामी जी महाराज और राधा जी की की अस्थियां रखी हैं। जिसके दर्शन करने और मत्था टेकने के लिए लोग आते हैं। स्वामी बाग में दिन में चार बार सत्संग होता है। पहला सत्संग स्वामी बाग के समाध स्थान पर सुबह 6 से 7 बजे। बाबू जी महाराज की कोठी में 8.30 से 9.30 बजे तक। तीसरा शात 5.30 से 6.30 बजे तक और चौथा सत्संग रात 8.15 से 9.15 बजे तक भजन घर में होता है।

अभिषेक शुक्ला
लेखक के बारे में
अभिषेक शुक्ला
अभिषेक नवभारत टाइम्स में डिजिटल कंंटेंट प्रड्यूसर के पद पर कार्यरत हैं। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद फिल्म टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया से फिल्म अप्रिशिएशन का कोर्स किया। दैनिक भास्कर से पेशेवर दुनिया में एंट्री की। अभी एनबीटी के साथ पत्रकारिता में सफर जारी है। सिनेमा और राजनीति में खास दिलचस्पी है।... और पढ़ें

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