चॉकलेट बनाने वाली लड़की कैसे पहुंच गई अंतरिक्ष? एक एड ने बदली जिंदगी, पढ़ें पूरी कहानी | Britain first astronaut to go to space Helen Sharman how she was chosen 18 may history | TV9 Bharatvarsh

चॉकलेट बनाने वाली लड़की कैसे पहुंच गई अंतरिक्ष? एक एड ने बदली जिंदगी, पढ़ें पूरी कहानी

हेलेन शरमन अंतरिक्ष जाने वाली पहली ब्रिटिश एस्ट्रोनॉट हैं. 18 मई, 1991 को 27 साल की उम्र में उन्होंने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी. लेकिन हेलेन कोई फुल-टाइम एस्ट्रोनॉट न होकर एक चॉकलेट कंपनी में काम करने वाली महिला थी. एक रेडियो एड के बदलौत हेलेन ने कैमिस्ट से अंतरिक्ष यात्री बनने का सफर तय किया. आइए जानते हैं पूरा किस्सा.

चॉकलेट बनाने वाली लड़की कैसे पहुंच गई अंतरिक्ष? एक एड ने बदली जिंदगी, पढ़ें पूरी कहानी
ब्रिटिश एस्ट्रोनॉट चुने जाने से पहले हेलेन का स्पेस साइंस से कोई नाता नहीं रहा था.Image Credit source: ESA
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| Updated on: May 18, 2024 | 11:17 AM

हेलेन शरमन अंतरिक्ष में जाने वाली पहली ब्रिटिश एस्ट्रोनॉट हैं. आज ही की तारीख यानी 18 मई, 1991 को केवल 27 साल की उम्र में उन्होंने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी. लेकिन हेलेन कोई फुल-टाइम एस्ट्रोनॉट नहीं थी. वो तो एक चॉकलेट कंपनी में काम किया करती थी. फिर कैसे किसी अनुभवी की जगह हेलेन को अंतरिक्ष में जाने का मौका मिला? आइए जानते हैं ब्रिटेन के पहले एस्ट्रोनॉट के चुनाव का दिलचस्प किस्सा.

हेलेन शरमन का जन्म 30 मई, 1963 को शेफ़ील्ड शहर में हुआ था. ब्रिटिश एस्ट्रोनॉट चुने जाने से पहले उनका स्पेस साइंस से कोई नाता नहीं रहा था. उन्होंने केमिस्ट्री में बीएससी की थी. चॉकलेट कंपनी में केमिस्ट की नौकरी करने से पहले वो इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री का हिस्सा थी. उनको यहां से अंतरिक्ष ले जाने का जो जरिया बना, वो था एक रेडियो एड.

क्या था वो एड, जिससे चुनी गई ब्रिटेन की पहली एस्ट्रोनॉट?

एक शाम वो काम करके गाड़ी से घर लौट रहीं थी. तभी उन्होंने रेडियो पर ये एड सुना,’अंतरिक्ष यात्री चाहते हैं. कोई अनुभव जरूरी नहीं.’ अपने एक इंटरव्यू में हेलेन ने बताया कि एड सुनते ही उनके कान खड़े हो गए और उन्होंने इस मौके को हाथ से जाने नहीं दिया. उन्होंने अंतरिक्ष जाने के लिए वैसे ही अप्लाई किया जैसा कि कोई एक आम नौकरी के लिए करता है.

हेलेन शरमन ने एड में दिए नंबर पर कॉल किया, जिसके बाद उनसे कुछ आम सवाल पूछे गए. उन्हें कौन सी भाषाएं आती हैं, क्या नौकरी करती हैं, मिशन के लिए उन्हें क्यों चुना जाना चाहिए जैसे सवाल शामिल थे. हेलेन इन सब सवालों के जवाब लिखकर उन्हें भेज दिया. हालांकि, उन्हें यकीन था कि वो इस काम के लिए कभी चुनी नहीं जाएंगी. इसलिए उन्होंने अपने एप्लीकेशन फॉर्म की फोटोकॉपी नहीं की. इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने जवाब में क्या लिखा था. हालांकि, यह साफ है कि उन्होंने अपने बारे में वो ही लिखा जो सच था. बातों को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं पेश किया गया.

रूस में 18 महीने चली कड़ी ट्रेनिंग, रचा इतिहास

अंतरिक्ष जाने के इस मौके को पाने के लिए हेलेन के साथ-साथ हजारों लोगों ने अप्लाई किया था. हालांकि, मेडिकल और साइकोलॉजीकल टेस्ट के बाद उनमें से केवल 16 को अगले चरण के लिए चुना गया. उन 16 को फिर और फिजिकल टेस्ट से गुजरना पड़ा, जिसके बाद उनमें से 4 को आगे की ट्रेनिंग के रूस भेजा गया. मिशन के लिए इनमें से 2 लोगों को चुना जाना था जो अंतरिक्ष में जाते. बाकी 2 बैकअप एस्ट्रोनॉट बनते.

हेलेन मान चुकी थी वो पक्का बैकअप एस्ट्रोनॉट ही बनेगी. ऐसा इसलिए भी था क्योंकि उनके सामने एक ऐसा व्यक्ति खड़ा था जो सेना का पायलट था. लेकिन हेलेन ने खुद को गलत साबित किया. 18 महीने की कड़ी शारीरिक, मानसिक और भाषाई ट्रेनिंग से गुजरने के बाद, हेलेन को “प्रमुख अंतरिक्ष यात्री” के रूप में चुना गया. 18 मई 1991 को, वह सोयुज अंतरिक्ष यान में सवार होकर अंतरिक्ष जाने वाली पहली ब्रिटिश अंतरिक्ष यात्री बन गईं. मिशन के तहत हेलेन ने 8 दिन तक धरती के चक्कर काटे.

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